नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका इस नए video में. हमारी ज़िंदगी में कई बार हम खुद को एक मुश्किल घड़ी में पाते हैं. कई बार हमें बड़े फ़ैसले लेने पड़ते हैं, लेकिन हमें यह नहीं पता होता कि वह सही है या गलत. क्या उस फ़ैसले का परिणाम हमारे जीवन में खुशियां लाएगा या मुसीबत. लेकिन कई बार हमारे पास सही निर्णय लेने की सुझाव नहीं होते और हम जल्दबाज़ी में फ़ैसला कर लेते हैं और उन फ़ैसलों की वजह से हमारी ज़िंदगी सुखमय हो सकती है या फिर हमारी ज़िंदगी नरक से भी बढ़कर हो सकती है. इसलिए सही फ़ैसला लेने की क्षमता हमारे जीवन में सफलता हासिल करने के लिए आवश्यक है. तो चलिए आज की इस बोध कहानी के माध्यम से जानते हैं कि जीवन में सही फ़ैसले कैसे लिए जाएं और यह भी कि सही निर्णय लेने के तरीका कौन सा है? तो बिना किसी देरी के कहानी शुरू करते हैं दोस्तों कई साल पहले की बात है एक छोटे से राज्य में एक बौद्ध भिक्षु निवास कर रहे थे जिन्हें सभी जगहों पर उनके ध्यान के बड़े चर्चे थे वह बौद्ध भिक्षु बहुत ज्ञानी थे. उनके पास लोग बहुत दूर दूर से आते थे ताकि वे उनसे अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सके. उनके पास कोई भी कैसी भी समस्या लेकर क्यों ना आए, वह समस्या का समाधान अवश्य करते थे. जब भी वह किसी की समस्या सुनते, तो उस समस्या को बड़े ही ध्यान से सुनते, समझते उसमें लीन हो जाते और उसके बाद कुछ देर के लिए वह आंखें बंद करते और समस्या के बारे में से सोच विचार करते और उसके बाद उसका समाधान दे दी. ऐसे में कोई भी व्यक्ति उनके बारे में केवल एक ही बात सोचता था शायद इन साधु के पास कोई ऐसी चमत्कारिक शक्तियां हैं जिससे यह समाधान पूछते हैं और उसके बाद हमें वह समाधान बताते हैं. एक बार एक युवक ने उन महाराज से यह पुछ भी लिया. क्या आपके पास ऐसी कोई चमत्कारी शक्तियां हैं?
जिसके कारण आप हमारी समस्याओं का समाज करते हैं या आपके पास ऐसी कोई दिव्य दृष्टि है जिससे आप हमारी समस्याओं का समाधान खोज पाते हैं. उस युवक की यह बात सुनकर वह साधु ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे, लेकिन उन्होंने उस युवक की बात का कोई जवाब नहीं दिया. उसके कुछ ही दिनों बाद उस राज्य में एक बड़ी अजीब सी घटना घटी, उस राज्य में एक बुढ़िया औरत रहा करती थी जो अपने घर में अकेले ही रहती थी. उसका कोई ना था उस राज्य से होकर चार मित्र अपने घर की ओर जा रहे थे. वे लोग दूसरे नगर में काम कर के पैसा इकट्ठा करके अपने गांव की ओर जा रहे थे. ये बात बहुत पुराने ज़माने की है. जब यातायात के साधन ना हुआ करते थे इसलिए वे लोग पैदल ही यात्रा किया करते थे. इसी कारण वे चारों मित्र अपने अपने धन को इकट्ठा करके अपने गांव की ओर प्रस्थान कर रहे थे. उन चारों ने अपना अपना धन एक छोटी सी पोटली में रखा था और उसी पोटली में उन सब की सारी कमाई थी, तभी उन चारों मित्रों में से एक मित्र कहता है. मित्रों, इस तरह से यदि हम अपना धन अलग अलग रखेंगे तो इससे हमारा धन चोरी हो सकता है. क्यों ना हम अपना सारा धन एक ही पोटली में रख दें, जिससे हम सब इस पर ध्यान भी दे सकेंगे और हमारा धन सुरक्षित भी हो जाएगा. और जब हम अपने गाँव पहुंच जाएंगे तो हम वहाँ पर अपना अपना हिस्सा इसमें से ले लेंगे. उन तीनों मित्रों ने उस युवक की बात मान लें और वे सभी मिलकर अपना धन एक ही पोटली में रख देते हैं और वे सभी मिलकर अपने गांव की ओर आगे बढ़ते हैं. चलते चलते काफी समय बीत चुका था और अब रात्रि होने वाली थी. तभी आगे चलकर रास्ते में उन्हें एक घर दिखाई दिया.
जहां पर एक बूढ़ी औरत रहा करती थी. रात्रि का में भी हो चुका था और उन चारों मित्रों को रात रुकने के लिए कोई ना कोई जगह की आवश्यकता भी थी. ऐसे में उन चारों ने मिलकर यह योजना बनाई कि वे लोग आज रात इसी घर में ठहरेंगे. इसलिए वे चारों लोग उस घर की ओर आगे बढ़ते हैं उस घर का दरवाजा खटखटाते हैं तभी सामने से एक बूढ़ी औरत दरवाजा खोलती है और उन चारों मित्रों में से एक मित्र हाथ जोड़कर उस बूढ़ी औरत से कहता है माताजी हम अपने गांव की ओर जा रहे थे लेकिन यहां रास्ते में ही रात हो गई और अब हम इतनी रात में सफर नहीं कर सकते. इसलिए हमारी आपसे विनती है कि हम आपके यहाँ पर एक रात रुकना चाहते हैं. सुबह होते ही हम यहां से चले जाएंगे. उस बूढ़ी औरत ने काफी देर सोच विचार किया और उसके बाद वह बूढ़ी औरत कहती है ठीक है तुम सभी आज रात के लिए यहां पर रुक सकते हो. मुझे कोई दिक्कत नहीं मैं खाना बनाने जा रही हूं. कहो तो तुम लोगों के लिए भी बना दूं. उन चारों ने सहमति जताते हुए कहा, हां, बिल्कुल. उसके बाद उन चारों मित्रों ने धन की पोटली उस बूढ़ी औरत को थमा दी और कहा माताजी इस पोटली में हमारे साल भर की कमाई है. हम चारों ने अब तक का अपना सारा कमाया हुआ धन इसी पोटली में रखा है और अब हम इसे आपको सौंपते हैं. क्योंकि यह हम चारों से ज़्यादा आपके पास सुरक्षित होगा, हम बस इतना चाहते हैं कि यदि हम चारों में से कोई एक व्यक्ति से लेने आए तो आप इस पोटली को उसे मत देना जब तक कि हम चारों एक साथ इस पोटली को लेने ना आए तभी वह बूढ़ी औरत कहती है ठीक है बेटा, यदि तुम चारों एक साथ आओगे तभी मैं इस पोटली को आपको सौंपेंगी और वैसे भी आप लोग तो सुबह यहां से चले जाने वाले हैं मैं आपको सुबह ही यह पोटली थमा दूंगी, वह धन की पोटली, उस बूढ़ी औरत को थमा कर चारों मित्र निश्चिंत हो जाते हैं, कि अब उनका धन सुरक्षित है और वे लोग खाना खाकर सो जाते हैं.
अगली सुबह जब वह चारों उठते हैं तो सभी लोग अपनी आगे की यात्रा के लिए तैयारियां शुरू कर देते हैं. उन चारों नौजवानों में से एक नौजवान थोड़ा सा बदमाश था. वह अपने उन तीनों मित्रों से कहता है भाइयों. इस बूढ़ी औरत ने हमारी रात भर खातिरदारी की है. हमें अच्छा भोजन खिलाया. सोने के लिए अच्छी जगह दी. रात भर यहां सर छुपाने के लिए एक अच्छा मकान दिया और हमने अब तक उसके कुछ नहीं किया. वह बूढ़ी औरत अकेले ही खेतों में काम कर रही है. क्या हम सभी यहां से जाने से पहले इस बूढ़ी औरत की मदद नहीं कर सकते. उस बदमाश नौजवान ने मन ही मन यह योजना बना ली थी, कि वह किसी तरह से भी उस बुढ़िया से पोटली हासिल करके ही रहेगा, बाकी के तीनों मित्र उसकी बातों में आ जाते हैं और वे सभी मिलकर उस बुढ़िया की मदद करने अर्थात खेतों में काम करने के लिए चल पड़ते हैं. वे सभी मिलकर खेतों का काम कर ही रहे थे. कि तभी वह बदमाश नौजवान अपने बाकी तीनों मित्रों से कहता है. मित्र मुझे ज़ोरों की प्यास लग गई है. मैं ज़रा उस बूढ़ी औरत से पानी मांग कर लाता हूं, वह बाकी मित्र भी अब काफी थक चुके थे. उन्हें भी जोरों की प्यास लगी थी, इसलिए वह तीनों मित्र उसे वहां से जाने की अनुमति दे देते हैं. जैसे ही वह बदमाश उस बूढ़ी औरत के पास पहुंचता है, वह उस बूढ़ी औरत से कहता है माता जी अब हम यहां से जा रहे हैं कृपया करके हमारे धन की पोटली हमें वापस दे दे इस पर. वह बूढ़ी औरत कहती है नहीं नहीं जब तक तुम चारों एक साथ ना हो तब तक मैं वह पोटली किसी को नहीं दे सकती. तुम्ही ने तो कहा था कि जब तक हम चारों एक साथ ना हो तब तक यह पोटली किसी को नहीं देनी है. तभी वह बदमाश उन तीनों की तरफ इशारा करते हुए कहता, hey, लाओ, उन तीनों ने सोचा कि हमारा मित्र हमारे लिए पानी लाना चाहता है, इसलिए वह हमसे आज्ञा मांग रहा है. तभी उन तीनों मित्रों ने इशारे में उस युवक से कहा, हां हां ठीक है ले आओ. यह देख उस बुढ़िया को यह लगने लगा कि अब यह चारों यहां से जा रहे हैं और यह अपनी पोटली मांग रहे हैं.
इसलिए उस बुढ़िया ने वह कोटला कर उस बदमाश के हाथों में रख दी और वह बदमाश उस पोटली को लेकर वहां से चला गया और बाकी के तीनों मित्र अपने खेत के काम में व्यस्त हो जाते हैं. कुछ देर के बाद जब वह तीनों खेत का काम करके वापस लौटते हैं और बुढ़िया से कहते हैं. माता जी, हमारा मित्र जो यहां पानी पीने आया था, वह कहा गया. इस पर वह बुढ़िया कहती हैं, क्या वह पानी पीने आया था? पर वो तो कह रहा था कि हम चारों जा रहे हैं. कृपया करके हमारे धन की पोटली हमें थमा दे. तब तीनों बड़े आश्चर्य होकर उस बुढ़िया से कहते हैं. माता जी, हमने भला कब कहा वह पोटली मांगी थी. हमें तो प्यास लगी थी और हमने पानी के लिए इशारा किया था तभी बूढ़ी औरत उन तीनों से कहती हैं परंतु अब तो वह पोटली लेकर जा चुका है तभी वह तीनों मित्र सर पकड़ कर रोने लगते हैं और कहते हैं माताजी उसमें हमारा सारा कमाया हुआ धन था, जो वह अकेले लेकर भाग चुका है. हमने तो आपको कहा था कि जब तक हम चारों एक साथ ना आए तब तक आपको वह पोटली किसी को नहीं देनी है. फिर आपने ऐसा क्यों किया? इसमें आप ही की गलती है. हमने आपको उस पोटली की हिफाजत के लिए रखा था और आपने उसे एक ऐसे आदमी के हाथों में दे दिया जिसने हमारा सारा धन हमसे लूट लिया. हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, हम राजा के पास जाएंगे और राजा से आपकी शिकायत करेंगे, न्याय की मांग करेंगे, अब तो इस बात का राजा ही फ़ैसला करेंगे. तीनों नौजवान क्रोधित होकर राज दरबार में पहुंच जाते हैं और अपनी सारी समस्या उन राजा को बता देते हैं. जब वह राजा उन तीनों नौजवानों की बात ध्यानपूर्वक सुनता है, तो वह तुरंत ही उस बुढ़िया को राज दरबार में पेश होने का आदेश देता है. राजा के आदेश पर राजा के सैनिक तुरंत ही उस बूढ़ी औरत को राज दरबार में पेश करते हैं और राजा भरी दरबार उस बूढ़ी औरत को दोषी करार कर देता है और कहता है तुम्हें वह पोटली उस अकेले व्यक्ति को नहीं देनी चाहिए थी. जब उन्होंने तुमसे कहा था कि जब तक वह चारों एक साथ उस पोटली को लेने ना आए, तब तक तुम्हें वह धन किसी को नहीं देना चाहिए था. इसमें तुम्हारी गलती है और अब तुम्हें इसका हर्जाना भरना होगा, तुम्हें इनका धन लौटाना होगा. राजा का यह आदेश सुनकर बूढ़ी औरत फूट फूट कर रोने लगती है और राजा से मदद की गुहार लगाती है और कहती हैं hey राजन मैं तो एक बूढ़ी औरत हूं और मेरे पास इतना धन नहीं है और ना ही मेरे घर में कोई ऐसा है जो धन कमाता. मेरे पास इतना धन नहीं कि मैं इनका धन लौटा सकूं मैं तो अकेली हूँ, बेसहारा हूँ, कृपा करके मुझ पर रहम करें,
लेकिन राजा उस बूढ़ी औरत की एक नहीं सुनता, वह बूढ़ी औरत रोते हुए अपने घर की ओर जा रही थी. यह सोच रही थी कि आखिर में इतना धन कहां से लाऊं? कि कैसे मैं उन लोगों का यह धन उन्हें लौट आऊंगी मेरे पास इतना धन नहीं है मैं क्या करूं कैसे करूं कहां से लाऊं इतना धन यदि मैंने उनका धन नहीं लौटाया तो मुझे राजा मार डालेगा वैसे भी मेरी ही गलती है. जब उन चारों ने मिलकर मुझसे कहा था कि जब तक हम चारों एक साथ ना आए तब तक वह पोटली किसी को नहीं थमानी है.फिर भी मैंने वह पोटली केवल उस एक व्यक्ति को थमा दी इसमें गलती तो मेरी ही है. वह रोते रोते ये सारी बातें सोचते हुए अपने घर की ओर जा रही थी. तभी रास्ते में उस बूढ़ी औरत को वही संत मिले, जो उस नगर में किसी भी समस्या का समाधान, बड़ी ही सरलता और सहजता से करते हैं, उन्होंने उस बूढ़ी औरत से कहा, क्या बात है बेटी क्यों रो रही हो? इस पर वह बूढ़ी औरत उस संत को सब कुछ सच सच बता देती है और कहती हैं hey महाराज इसमें गलती तो मेरी ही है. उन चारों ने तो पहले ही कहा था कि जब तक विचारों एक साथ ना आए तब तक वह पोटली मुझे किसी को नहीं देनी है. लेकिन मेरी हिम्मत मारी गई थी जो मैंने वह पोटली केवल एक व्यक्ति को थमा दी और वह उनका सारा धन लेकर वहां से भाग गया. लेकिन अब मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि मैं वह सारा धन कहां से लाऊं कैसे जुटाऊ मेरे पास इतना धन नहीं है और राजा ने तो आदेश भी दे दिया है कि मुझे उनका धन लौटाना ही पड़ेगा, लेकिन मैं यह समझ नहीं पा रही इतना सारा धन मैं कहां से लाऊंगी? तभी वह संत उस बूढ़ी औरत से कहते हैं. शांत हो जाओ. मैं कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकाल लूँगा. इतना कहकर वह संत वहीं पर बैठ जाते हैं. ध्यान करने लगते हैं. कुछ देर के लिए, आप के बंद कर सोचते हैं, विचार करते हैं, मौन रहकर वह समस्या का समाधान निकालते हैं और उसके बाद वह उस बूढ़ी औरत से कहते हैं. बेटी राजा ने फ़ैसला किया है, वह बिल्कुल गलत है. आपने जो किया इसमें आपकी कोई गलती नहीं है.
राजा का फ़ैसला गलत है. उन संत के इतना कहने पर बूढ़ी औरत चुप हो गई और यह सोचने लगी कि आखिर राजा का फ़ैसला कैसे गलत हो सकता है. राजा तो सभी के लिए न्याय ही करते हैं. और वह कभी किसी का बुरा नहीं करते. फिर आखिर आज राजा का फ़ैसला कैसे गलत हो गया? उन संत और उस बुढ़िया की बात आसपास के खड़े लोग सभी लोग sun रहे थे. और वे लोग भी बड़े अचरज में थे क्योंकि राजा का फ़ैसला कैसे गलत हो सकता है? राजा ने तो बिल्कुल सही फ़ैसला लिया है इस बूढ़ी औरत ने ही गलती की है. उन चारों का धन केवल एक ही को थमा दिया. ऐसे में इस बुढ़िया को उनका धन तो लौटाना ही चाहिए. राजा ने गलत फ़ैसला कहा किया है, तभी वह संत उस बूढ़ी औरत से कहते हैं, जाओ और राज दरबार में कह दो कि hey राजन आपका फ़ैसला गलत है और सही क्या है? गलत क्या है? इसका फ़ैसला मैं करूँगा. पहले तो बूढ़ी औरत इतनी हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही थी, कि वह राज दरबार में जाकर भरे राज दरबार में राजा को यह कह सके कि राजन आपका फ़ैसला गलत है, लेकिन जैसे तैसे उसने हिम्मत जुटाई और वह वापस राज दरबार लौटी. उसने डरते हुए भरे राज दरबार राजा से बड़ी धर राती आवाज़ में कहा, कि राजन आपने जो फ़ैसला किया है वह फ़ैसला गलत है. इतना कह कर उसने राजा को सारी बात सच सच बता दी. उस बूढ़ी औरत की बात sun कर राजा बहुत क्रोधित हुआ. राजा ने उस बूढ़ी औरत से कहा, कौन है वह संत? जिसने मेरे फ़ैसले को गलत बताया है क्या उन्हें नहीं लगता कि मैंने सही निर्णय लिया है मैं हर रोज़ कई निर्णय लेता हूं कई फ़ैसले करता हूं लेकिन आज तक कभी किसी ने मुझसे यह नहीं कहा कि मेरा फ़ैसला गलत है. यदि उन संत ने मुझे सही फ़ैसला ना सुनाया उन्हें फांसी की सज़ा दे दूंगा. यह बात पूरे नगर में फ़ैल गई. सब लोग यह जानने के लिए हैरान थे कि आखिर वह साधु ऐसा कौन सा फ़ैसला सुनाने वाले हैं जो राजा से भी उचित होगा जिसमें सबके लिए न्याय होगा. राजा ने अपने सैनिकों को तुरंत ही आदेश दिया कि जाओ और संत को राज दरबार में लाओ.
राजा की आज्ञा के अनुसार वे सैनिक तुरंत ही उन संत को लेने के लिए निकल पड़े. वे लोग कुछ ही देर बाद उन संत को लेकर राज दरबार पहुंचे राज दरबार में सभी लोग उपस्थित थे और सभी लोग उन संत के फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे थे. उन संत को देख कर राजा कहता है महाराज आपको ऐसा क्यों लगता है कि हमने जो फ़ैसला किया है वह गलत है. इस बुढ़िया ने यह वादा किया था कि वह चारों लोगों को एक साथ ही वह पोटली जमा आएगी, फिर आखिर उसने अपना वादा क्यों तोड़ा, इसने यह गलती क्यों की? कि इसने केवल एक ही को पोटली थमा दी और वह उनका सारा धन लेकर यहां से भाग गया तो क्या इसमें इसकी गलती नहीं है, क्या इससे इनका धन नहीं लौट आना चाहिए? इस पर वह साधु बड़ी विनम्रता से राजा से कहते हैं, hey राजन यह आपका फ़ैसला था लेकिन मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं इस पर राजा कहता है ठीक है कहिए आप क्या कहना चाहते इस पर वह साधु बड़ी विनम्रता से राजा से कहता है. Hey राजन जैसा कि वादा किया गया था कि पोटली एक साथ उन चारों को ही दी जाएगी, तो अभी तो यह केवल तीन है, चौथा कहां है? तो इनसे कहिए कि यह लोग यहां से वापस जाएं और अपने उस चौथे मित्र को यहां लेकर आए तभी इनका धन वापस किया जाएगा और वादा भी ऐसा ही किया गया था कि जब तक चारों लोग एक साथ ना हो तब तक उनका धन उन्हें नहीं लौटाया जाएगा और यदि यह बूढ़ी औरत इन तीनों को धन लौटा देती है तो यह बूढ़ी औरत अपना वादा तोड़ देगी और यह सही नहीं है. इसलिए यदि आप चाहते हैं कि इनका धन लौटाया जाए तो पहले इनसे कहिए कि ये लोग जाएं और अपने उस चौथे मित्र को यहाँ पर वापस ले आए. उस राज दरबार में हर कोई इस बात को सुनकर बहुत खुश हुआ. सभी ने उन संत की बहुत तारीफ की राजा भी उन संत के इस फ़ैसले से पूरी तरह से सहमत था.
राजा तुरंत ही उन संत के सामने सिर झुका लेता है और हाथ जोड़कर उनसे कहता है hey महाराज आपका यह फ़ैसला इतना सही कैसे हो सकता है? आखिरी बात मेरे दिमाग में आई क्यों नहीं? मैंने इस बात को इस तरह से सोचा क्यों नहीं? तभी वह साधु उस राजा से कहते हैं. Hey राजन, आपके पास और भी काम होते हैं. आप दिन भर व्यस्त रहते हैं और आपको जल्दबाज़ी में फ़ैसले लेने पड़ते हैं. आपने इस मामले को न समझा, लेकिन इसे देखने में आप गलती कर गए, इससे आपने केवल ऊपरी तौर पर देखा, आपने इसकी गहराई तक जाने का प्रयास तक नहीं किया, यदि आपने इस मामले की गहराई को देखा होता, समझा होता तो आप भी इसी नतीजे पर आते. जब तक हम किसी मामले की गहराई तक नहीं जाते, तब तक हम उसका सही समाधान नहीं निकाल सकते, लेकिन हम में से अधिकांश लोग तो अपने फ़ैसले केवल जल्द में लेना चाहते हैं, भले ही वह मामला कितना भी गंभीर क्यों ना हो, हमें तो बस अपना हक चाहिए, हमारा नाम होना चाहिए, भले ही फ़ैसला हमारे लिए आगे चलकर हमारे लिए नुकसानदायक क्यों ना हो लेकिन हम तो उस मामले की गहराई तक जाने के लिए सोचते तक नहीं तभी वह राजा उन संत से कहता है, hey महाराज, क्या आपके पास कोई दिव्य शक्तियां हैं? क्या आपके पास ऐसी कोई चमत्कारिक शक्ति है? जिसे आप सवाल करते हैं और बदले में वह आपको जवाब देती है, जिस कारण आप सटीक और सही समाधान बता पाते हैं राजा की यह बात सुनकर वसंत मुस्कुराने लगे और राजा से कहते हैं हिरण्या. यह सवाल मुझसे कई लोगों ने पुछा है और मैंने कभी किसी का जवाब नहीं दिया, लेकिन आप इस राज्य के राजा हैं, इसलिए मैं आपके इस प्रश्न का उत्तर देता हूं. आप में से कई लोगों को यहां ऐसा लगता है कि मेरे पास कोई ऐसी शक्तियां हैं जिससे मैं बात कर सकता हूं, जिससे मैं कोई भी समस्या का समाधान पा सकता हूं लेकिन मैं आप लोगों को एक बात सच सच बता देता हूं. मेरे पास ऐसी कोई शक्तियां नहीं है.
मैं तो केवल हर मामले की गहराई तक सोचता हूं. उस बात पर विचार करता हूँ और जब मैं विचार करता हूँ तो मेरे सामने कई सारे समाधान आते हैं और जो समाधान मेरे सामने आते हैं मैं उन पर भी विचार करता हूँ, उनके बारे में भी गहराई तक जाता हूँ, और जब मुझे लगता है कि इस समस्या का समाधान यही होना चाहिए तभी मैं समाधान उस व्यक्ति को देता हूं ताकि वह अपनी समस्या का समाधान कर सके. अब आप ही सोचिए आप जल्दबाज़ी में यह फ़ैसला लेकर इस बुढ़िया का जीवन पूरी तरह से बर्बाद कर देते हमारा पूरा जीवन केवल एक फ़ैसले पर निर्भर करता है. यदि वह फ़ैसला सही हुआ तो हमारा जीवन अच्छा वन जाएगा और यदि वह फ़ैसला गलत निकला तो हमारा जीवन नरक से भी बदतर हो सकता है. इसलिए यदि आप सही और सटीक फ़ैसला लेना चाहते हैं तो आपको मौन रहना सीखना पड़ेगा. मौन रहकर उस पर विचार करना सीखना होगा क्योंकि हमारे फ़ैसले ही हमारा भविष्य तय करते हैं. हमारी ज़िंदगी का अगला पड़ाव तय करते हैं. फिर चाहे वह फ़ैसले छोटे हों या बड़े वे ही हमारी ज़िंदगी को निर्धारित करते हैं, इसलिए सबसे पहले हमें सही फ़ैसले लेने के लिए मौन रहना सीखना आवश्यक है, उन पर विचार करना आवश्यक है, और जब आप ऐसा करते हैं तो आपके सामने एक ही समझ के कई सारे समाधान निकल कर आते हैं और जब आप उन पर गौर करेंगे तो आपको यह समझ में आएगा कि उन फ़ैसलों का समाधान कैसा होना चाहिए कि समाधान से आपको क्या फ़ायदा होगा और क्या नुकसान होगा या उस समाधान पर सोच और विचार करने पर ही आप उसे समझ सकते हैं और तभी आप यह निर्णय भी ले सकते हैं कि क्या यह समाधान उचित रहेगा या नहीं और यह सब संभव हो सकता है यदि हम कम बोलना शुरू करें अब पूरी तरह से मौन हो जाए, इसका अर्थ यह है कि आप भीतर से शांत हो जाएं और जब आप भीतर से शांत होने लगते हैं तो आपका मन स्पष्ट होने लगता है, साफ होने लगता है और आप किसी भी चीज़ पर सोच विचार कर सकते हैं और जब आप भीतर से शांत होने लगते हैं तो आप ऊपर से भी कम बोलते हैं और जब आप धीरे धीरे कम बोलने के आदि हो जाते हैं तो आप साफ और स्पष्ट तौर पर सोच और समझ पाते हैं. आपके विचारों में शुद्धता आ जाती है.
जिससे आपको यह साफ और स्पष्ट देखने को मिल जाता है. यह कौन सा फ़ैसला सही होगा और कौन सा फ़ैसला गलत होगा. आपको उस परिस्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? लेकिन हम में से अधिकांश लोग अपने आप को सही साबित करने के लिए, अपने आप को ऊँचा साबित करने के लिए, अत्यधिक बोलते हैं और इतना बोलते हैं हर कोई उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेता. उन्हें ऐसा लगता है कि मानो ज़्यादा बोलना ही हमारे लिए हमारा शस्त्र है. लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि वह अत्यधिक बोल कर मूर्ख वन रहे हैं. लोग हमारा मज़ाक बनाते हैं. हमें मूर्ख समझते हैं. हमसे दूर रहने लगते हैं. क्योंकि उन्हें हमारी बक बक अच्छी नहीं लगती. लेकिन जब आप भीतर से शांत होने का प्रयास करते हैं और धीरे धीरे भीतर से शांत होने लगते हैं तो आप खुद ब खुद ऊपरी तौर पर कम बोलना शुरू कर देते हैं. इससे आपके मन में, आपके मस्तिष्क में एक साफ और स्पष्ट विचार उत्पन्न होते हैं. और आप अपने आप को साफ स्पष्ट तौर पर समझ पाते हैं, देख पाते हैं आपको कब, क्या, क्यों और कितना बोलना चाहिए और आपको कब, कैसे? क्यों? किस तरह से कौन सा फ़ैसला लेना सही है या नहीं? यह भी आप अच्छी तरह से समझ और जान पाते हैं जब आप कम बोलना शुरू चार करना शुरू कर देते हैं तब आपको यह बात भी बहुत अच्छी तरह से समझ में आने लगती है कि जो हम बेकार की बक बक करते हैं उस पर हमारे शरीर की बेह वजह ही कितनी सारी ऊर्जा यूं ही व्यर्थ हो जाती है, नष्ट हो जाती है, जिसे हम चाहे तो किसी ज़रूरी काम में लगा सकते हैं. फ़ैसले लेने में लगा सकते हैं जिससे हम तनाव मुक्त रह सकते हैं और हमें अच्छी नींद भी आ सकती है और यदि आप इसी प्रकार सोच विचार कर फ़ैसले लेना शुरू करते हैं तो आपका मस्तिष्क भी अच्छी तरह से काम करने लगता है और आपका मस्तिष्क पहले से भी ज़्यादा शक्तिशाली हो जाता है. और इसका एक बहुत अच्छा उदाहरण भी आपको मैं बताना चाहूंगा. जब आप school में पढ़ते थे या फिर आज भी आप पढ़ रहे हो तो आपने देखा होगा कि जो बच्चे होनहार होते हैं होशियार होते हैं. वे लोग बहुत कम बातें करते हैं और अपना समय सही चीज़ों में लगाते हैं. वह अधिकांशत: अपना समय मौन होकर ही बिताते हैं. इसी वजह से वह पढ़ाई करने में बहुत तेज होते हैं. वह जो कुछ भी पढ़ना चाहते हैं, वह उसे याद कर ले जाते हैं, लेकिन वहीं पर दूसरी तरफ जो लोग बहुत अधिक बोलते हैं,
यदि आप उन्हें पूरे चौबीस घंटे भी दे दें तो भी वह उस तरह से उन चीज़ों को याद नहीं रख सकते, जिस तरह से वह मौन रखने वाले बच्चे उन बातों को याद कर लेते हैं. और महान चाणक्य ने भी यही कहा है कि जो व्यक्ति यह समझ जाता है कि उसे कब, कहां और कितना बोलना चाहिए उस व्यक्ति को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता और आप इतिहास उठाकर देख सकते हैं आज तक. जो भी लोग महान हैं, जो लोग भी शख्स successful बने हैं, उन लोगों की आदत बहुत कम बोलने की है. उनका पूरा ध्यान केवल अपने लक्ष्य पर होता है, और अपना पूरा समय वह अपने लक्ष्य को पाने में ही लगा देते हैं. इसीलिए आपको भी यह आदत अपने जीवन में उतारनी चाहिए. और कम बोलने का अर्थ यह नहीं कि आप ऊपर से कम बोलें, बल्कि आप भीतर से कम बोलें, भीतर से शांत रहिए, यदि आप रोज़ इसका अभ्यास करते हैं तो केवल कुछ दिनों में ही इससे होने वाले लाभ आपको आपके सामने नज़र आने लगेंगे दोस्तों आपने आज के इस story से क्या सीखा? वह मुझे आप comment में बता सकते हैं. इसी के साथ हमे उम्मीद है कि आपको आज की story पसंद आई होगी. तो इस story को उस इंसान को share करें जिससे यह कहानी सुनने की ज़रूरत है और उसी के ठीक बाद हमारी Rajib Inspired channel को subscribe करें और channel में जा के video भी देख सकते हो . तो चलिए फिर मिलते हैं ऐसी एक और नई story में एक नए message के साथ तब तक के लिए अपना ख्याल रखें. धन्यवाद और नमो बुद्धिए.